दिल्ली में वक्फ कानून पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद की अहम बैठक: मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में कानूनी लड़ाई पर मंथन

नई दिल्ली: वक्फ संशोधन कानून को लेकर दिल्ली में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता संगठन के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने की। बैठक का मुख्य उद्देश्य वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चल रही कानूनी लड़ाई को और मजबूत करने की रणनीति तैयार करना है। इसके साथ ही, इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाकर जागरूकता फैलाने पर भी चर्चा हुई।

Important meeting of Jamiat Ulema-e-Hind on Waqf law in Delhi

सुप्रीम कोर्ट में चुनौती और प्रेस कॉन्फ्रेंस की तैयारी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने वक्फ संशोधन कानून 2025 की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बैठक में इस कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए ठोस कदमों पर विचार-विमर्श किया गया। आज दोपहर 3 बजे जमीयत की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएगी, जिसमें संगठन अपनी रणनीति और इस कानून के खिलाफ अपने रुख को स्पष्ट करेगा। 

वक्फ कानून: क्यों है विवाद?

वक्फ संशोधन कानून को लेकर शुरू से ही विवाद छाया हुआ है। मुस्लिम समुदाय के नेताओं और संगठनों का मानना है कि यह कानून उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। जमीयत सहित कई संगठन इसे असंवैधानिक और अल्पसंख्यक अधिकारों के खिलाफ मानते हैं। उनका आरोप है कि इस कानून के जरिए वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने की साजिश रची जा रही है। दूसरी ओर, सरकार का दावा है कि यह कानून गरीब मुसलमानों के हित में है और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाएगा।

पैन-इंडिया विरोध की योजना

बैठक में यह फैसला लिया गया कि वक्फ कानून के खिलाफ विरोध को पूरे देश में फैलाया जाएगा। इसके लिए न केवल कानूनी स्तर पर लड़ाई लड़ी जाएगी, बल्कि सड़कों पर भी प्रदर्शन किए जाएंगे। पहले भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और अन्य संगठनों ने बिहार, दक्षिण भारत और अन्य क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन किए थे। अब जमीयत इस आंदोलन को और व्यापक बनाने की योजना बना रही है। 

राजनीतिक रस्साकशी का केंद्र बना मुद्दा

वक्फ कानून अब पूरी तरह से राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। विपक्षी दल इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताकर सरकार पर हमलावर हैं, वहीं बीजेपी इस कानून के जरिए पसमांदा मुसलमानों को अपने पाले में लाने की कोशिश में है। पार्टी जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक लोगों को इस कानून के फायदे समझाने में जुटी है। दूसरी ओर, विपक्ष को डर है कि इस मुद्दे पर उनकी पकड़ कमजोर न पड़ जाए।

क्या होगा आगे?

जमीयत की आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात का खुलासा हो सकता है कि संगठन इस कानून के खिलाफ अपनी लड़ाई को किस तरह आगे ले जाएगा। यह बैठक न केवल कानूनी रणनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि मुस्लिम समुदाय के बीच एक मजबूत संदेश देने के लिए भी अहम है। इस मुद्दे पर जनता के बीच जागरूकता फैलाने और विरोध को संगठित करने की दिशा में यह कदम निर्णायक साबित हो सकता है।

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